सुप्रसिद्ध कथावाचक डॉ आनंद मोहन जोशी बोले कलियुग में केवल दान ही प्रधान है।

हरीश थपलियाल, टीवी पत्रकार 

उत्तरकाशी। चिन्यालीसौड़/बड़ेथी।  कलियुग में भागवत साक्षात श्री हरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्यों का फल प्राप्त हो जाता है। इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं और मानव प्राणी को ही इस कथा का श्रवण लाभ प्राप्त होता है। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है।

सुप्रसिद्ध कथावाचक डॉ आनंद मोहन जोशी

भागवत कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, अन्यथा वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है। भागवत कलयुग का अमृत है और सभी दुखों की औषधि है। ये शब्द बुधवार को तीसरे दिन नगर पालिका चिन्यालीसौड़ के बड़ेथी वार्ड में चल रही भागवत कथा में सुप्रसिद्ध कथा वाचक डॉ आनंद मोहन जोशी ने कहे। उन्होंने कहा कि मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। डॉ आनंद मोहन जोशी ने आगे कहा कि कलियुग में केवल दान ही प्रधान है। सतयुग में धर्म के चार पैर थे, त्रेता में सत्य चला गया, द्वापर में सत्य व तप न रहे और कलियुग में तो सत्य, तप और पवित्रता तीनों चले गए। जीव केवल दान देकर और भगवान का नाम जप कर ही अपने जीवन को दिव्य बना सकता है।श्रीमद भागवत कथा में मौजूद कुल पुरोहित पंडित आशाराम जोशी,द्वारिका नौटियाल,चन्द्रेश जोशी,शिवराज उनियाल,हरीश जोशी,अनिल जोशी, पूर्व राज्य मंत्री एवम बीजेपी के वरिष्ठ नेता डॉ राजेंद्र प्रसाद जोशी, डॉ विजय बडोनी, बीजेपी के वरिष्ठ नेता गोपाल रावत, राजेंद्र बडोनी ने कथावाचक डॉ आनंद मोहन जोशी का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया। इस दौरान आयोजक परिवार श्रीमती सविता डिमरी वीरेंद्र डिमरी ने सभी का स्वागत किया।

 

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