सिंचाई विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी संघर्ष समिति का गठन, खेमराज कुंडरा प्रदेश अध्यक्ष बनें! 3 अक्टूबर से करेंगे धरना-प्रदर्शन।

हरीश थपलियाल टीवी पत्रकार

 

 

 

 

देहरादून। सिंचाई विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने पेंशन जारी नहीं होने पर आंदोलन की योजना बनाई है। इसको लेकर संघर्ष समिति का गठन किया है। सेवानिवृत्त कर्मचारी संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष खेमराज कुंडरा को बनाया गया। संघर्ष समिति तीन अक्तूबर से यमुना कॉलोनी सिंचाई विभाग में धरना-प्रदर्शन शुरू करेंगे।

सेवानिवृत कर्मचारी संघर्ष समिति के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष खेमराज सिंह कुंडरा

यमुना कॉलोनी सिंचाई विभाग संघ भवन में हुई बैठक में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद विभाग के कार्यप्रभारित सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनकी सेवाओं का लाभ नहीं दिया जा रहा है। विजय कुमार प्रदेश उपाध्यक्ष, रामराज मौर्य को प्रदेश सचिव, भगवती प्रसाद ढौंडियाल को कोषाध्यक्ष, मनोहर चंद पांडे को गढ़वाल मंडल अध्यक्ष,मुरलीधर बलोदी को सचिव चुना गया है।

क्या है पूरा मामला 

दरअसल सिंचाई विभाग के 800 से ज्यादा कर्मचारियों को सरकार ने 2020 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वर्कचार्ज की सेवा को जोड़ते हुए पेंशन का लाभ देने का आदेश दिया था। इसके बाद रिटायर हुए कुछ कर्मचारियों को इसका लाभ मिला, लेकिन 2023 से यह लाभ नहीं मिल पा रहा है। कर्मचारी वर्कचार्ज की सेवा को जोड़ते हुए पेंशन का लाभ देने की मांग कर रहे हैं।

37 साल तक सिंचाई विभाग में अपनी सेवाएं दे चुके खेम राज कुंडरा ने बताया कि कई वर्षों से काम करने के बाद भी वर्कचार्ज कर्मचारियो को जो सुविधा मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल रही है। जबकि सेवाकाल के दौरान हमारा जीपीएफ काटा गया। बावजूद इसके पेंशन नहीं मिल पा रही है। वर्कचार्ज कर्मचारियों के लिए पहले पेंशन की कोई सुविधा नहीं थी। इसके बाद वर्ष 2020 में पेंशन के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के हक में फैसला सुनाते हुए वर्कचार्ज कर्मचारियों को अन्य कर्मचारियों की तरह पेंशन का लाभ देने के निर्देश दिए। इसके बाद सिंचाई विभाग की ओर से सार्वजनिक सूचना देते हुए सेवानिवृत्त कर्मचारियों से अपने विभाग में अभिलेख देने की अपील की। इस दौरान बहुत से कर्मचारियों को पेंशन का लाभ दिया गया। इसके बाद भी कुछ लोगों को इस सुविधा से वंचित कर दिया गया। वर्ष 2023 में सरकार की ओर से नया गजट लाया गया, जिसमें वर्कचार्ज कर्मचारियों को पेंशन का लाभ नहीं देने का उल्लेख है, जो कर्मचारी पहले छूट गए थे, उन कर्मचारियों को भी इस गजट का हवाला देकर उनकी पेंशन भी रोक दी गई है। हम लोगों पर यह गजट लागू नहीं होना चाहिए। क्योंकि हम सेवानिवृत्त हो गए थे। हमारी तो पेंशन लगनी चाहिए।

 

सुझाव

 

1. 2023 में लागू होने वाला उत्तराखंड पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा को 2023 से पहले काम कर रहे कर्मचारियों पर लागू न किया जाए।

2. सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए आदेशों का पालन होना चाहिए।

3. 2019 में वर्कचार्ज सेवा अवधि को सम्मिलित करते हुए पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए।

4. दैनिक और वर्कचार्ज पर काम कर रहे कर्मी नियमित हों।

 

शिकायतें

1. 2023 में लागू हुई अर्हकारी सेवा को 2023 से पहले काम कर रहे कर्मियों और उससे पहले रिटायर होने वाले कर्मियों पर लागू किया जा रहा है।

2. सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गाए आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है।

3. 2019 में वर्कचार्ज सेवा अवधि का पालन नहीं किया जा रहा है।

4. दैनिक और वर्कचार्ज पर काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जा रहा है।

5.2023 के गजट से बाद रिटायरमेंट वाले पेंशन से वंचित

बुढ़ापे की लाठी है पेंशन, अब हम क्या करेंगे? 

खेम राज कुंडरा बताते हैं कि आज के समय में कोई किसी का सगा नहीं होता। बच्चे भी अपने जीवन और घर परिवार में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि बूढ़े मां-बाप को नहीं देखते। पेंशन नियमित आती तो हमें किसी से मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बुढ़ापा आराम से कट जाएगा। हमनें पूरी जिंदगी इस उम्मीद से काम किया कि हमें बूढ़ापे में पैसों के लिए दर-दर नहीं भटकना पड़ेगा। लेकिन हमारी हालत ऐसी है कि हमें इस उम्र में पेंशन के लिए लड़ना पड़ रहा है। उसके बाद भी नहीं पता की पेंशन मिलेगी की नहीं। कर्मचारियों के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए।

 

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