SIR सर्वे से कई निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि होंगे बाहर..?

 

हरीश थपलियाल, टीवी पत्रकार

 

देहरादून। राज्य में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) सर्वे के दौरान मतदाता सूची में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। कई निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों के नाम दो अलग-अलग मतदान क्षेत्रों की मतदाता सूचियों में दर्ज पाए गए हैं। यह मामला सामने आने के बाद प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।

 

चुनाव नियमों के अनुसार कोई भी व्यक्ति एक से अधिक स्थानों पर मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हो सकता। इसके बावजूद कई जनप्रतिनिधियों द्वारा नियमों का उल्लंघन किया गया, जो न केवल आचार संहिता बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की भावना के भी विरुद्ध है। SIR सर्वे के जरिए ऐसे मामलों की पहचान की जा रही है, जिनमें कई वर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों की वैधता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

 

मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने भी इस पर संज्ञान लिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची में दो स्थानों पर नाम होना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है और दोषी पाए जाने पर संबंधित जनप्रतिनिधियों की सदस्यता रद्द की जा सकती है। इसके साथ ही भविष्य में चुनाव लड़ने पर भी रोक लग सकती है।

 

प्रशासन द्वारा संबंधित पंचायत प्रतिनिधियों से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है। जांच पूरी होने के बाद अंतिम सूची तैयार की जाएगी, जिसमें दोषी पाए गए जनप्रतिनिधियों को पद से हटाया जाएगा। इससे पंचायत स्तर पर बड़े बदलाव की संभावना जताई जा रही है।

 

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, कई पंचायतों में प्रतिनिधित्व शून्य होने की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है, जिसके चलते उपचुनाव कराए जाने की नौबत आ सकती है।

 

SIR सर्वे और न्यायालय की सख्ती से यह संदेश साफ है कि चुनावी नियमों से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आने वाले दिनों में यह कार्रवाई पंचायत व्यवस्था की तस्वीर बदल सकती है।

 

क्या है SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन)

ये चुनाव आयोग की एक प्रक्रिया है। इससे वोटर लिस्ट अपडेट की जाती है।

इसमें 18 साल से ज्यादा के नए वोटर्स को जोड़ा जाता है।

ऐसे लोग जिनकी मौत हो चुकी है। जो शिफ्ट हो चुके हैं उनके नाम हटाए जाते हैं।

वोटर लिस्ट में नाम, पते में हुई गलतियों को भी ठीक किया जाता है।

BLO घर-घर जाकर खुद फॉर्म भरवाते हैं।

मकसद

कोई भी योग्य वोटर लिस्ट में ना छूटे और कोई भी अयोग्य मतदाता सूची में शामिल न हो।

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